Sunday, August 31, 2008

चिट्ठी न कोई संदेश, जाने...

कोसी का कहर

कुमार नरोत्तम / August 28, 2008



विलायत अकेला हो गया है। कल तक उसके परिवार में 15 लोग थे, मां थी, बच्चे थे, पत्नी थी और भाई भी था।

अपने घर बिहार के सुपौल जिले से कोसों दूर वह इसी परिवार की खुशियों को संजोए रखने के लिए दिल्ली में रेहड़ी लगाकर फल बेचा करता है। जैसे-तैसे कुछ पैसे जमाकर वह रोज अपने परिवार वालों से फोन के जरिये बात भी कर लेता था।

उसे कभी भी अपने परिवार से दूर रहने का एहसास नहीं हुआ था। लेकिन आज न तो फोन की घंटी बज रही है और न ही परिजनों की कोई खबर लग रही है। उसकी डबडबाती आंखे यह कह जाती है कि कोसी के कहर ने उसके परिवार की खुशियां ही शायद लील न ली हो। फिलवक्त उसके परिजनों का कोई अता-पता नहीं चल रहा है। यही हाल कमोबेश उन हर लोगों का है, जिनके परिजन बाढ़ में फंसे हुए हैं।

कोसी के पानी का कहर बदस्तूर जारी है। ऐसे में लोग अपनी जिंदगी को पानी में बहता हुआ देख रहे हैं। हर रोज पानी का स्तर बढ़ता जा रहा है। लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की जा रही है। आलम यह है कि सहरसा और आसपास की सड़कों पर यातायात खुले होने के बावजूद आवागमन का कोई साधन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। गांव वाले अपने साथ माल-मवेशी लेकर भी भाग रहे हैं।

लोगों को जो साधन मिल रहे हैं, वे उसी के सहारे जान बचाकर भागने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रैक्टर, ट्रक, बस, ठेला आदि यातायात साधनों को काफी इस्तेमाल किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अभी पिछले दिनों से लगभग डेढ़ लाख क्यूसेक पानी कोसी नदी से आ रही थी। पिछला रिकॉर्ड अधिकतम 5 से 6 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने का रहा है।

दूसरी ओर पूरब में तटबंधों के बीच अधिकतम 10 किलोमीटर का विस्तार क्षेत्र कोसी नदी को प्राप्त था, जो अब बढ़कर 25 किलोमीटर हो गया है। इस तरह अगर 5 या 6 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है, तो भी अधिक विस्तार क्षेत्र होने के कारण जलग्रहण क्षमता बढ़ी है और एक से डेढ़ फीट अधिक ऊंची पानी आने की आशंका बनती है। इस वजह से लोग बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं।

कुछ इलाके ऐसे भी हैं, जहां कोसी की तेज रफ्तार होने की वजह से नाव भी नहीं पहुंच पा रहा है। कई इलाके में पानी के तेज बहाव के साथ मोबाइल के टावर भी बह गए हैं। इन इलाके में लोगों के लिए बाहर रह रहे अपने परिजनों से संपर्क साधित कर पाना पूरी तरह से अवरूद्ध हो गया है। दूसरी तरफ बाढ़ पीड़ितों के वे परिजन, जो बाहर रहते हैं, संपर्क साधित नहीं होने की वजह से काफी चिंतित हैं।

बाढ़ पीड़ित इलाके में बिजली की स्थिति काफी दयनीय हो गई है। ज्यादातर इलाकों में पानी बढ़ने की वजह से बिजली की आपूर्ति रोक दी गई है, ताकि किसी प्रकार की लोड शेडिंग की घटना से बचा जा सके। बिजली की आपूर्ति नहीं होने की वजह से मोबाइल धारी लोग अपना मोबाइल चार्ज नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से किसी से संपर्क स्थापित नहीं हो पा रहा है।

कुछ जगहों से ऐसी भी खबर आई है कि ट्रैक्टरों और ट्रकों पर जेनरेटर लगाकर गांव गांव जाकर मोबाइल आदि को चार्ज किया जा रहा है, ताकि लोगों की मोबाइल कनेक्टिविटी बनी रहे। दिल्ली में रह रहे बाढ़ पीड़ितों के परिजन भी बेहाल हैं। लक्ष्मी नगर के एक टेलीफोन बूथ पर फोन करने आए रमेश (सुपौल के निवासी) अपने परिवार जनों से संपर्क स्थापित नहीं होने की वजह से काफी चिंतित हैं।

वे कहते हैं, मेरा गांव पूरी तरह से पानी में डूबा हुआ है । पिछले दो दिनों से मैं अपने परिवार वालों से संपर्क साधने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन संपर्क नहीं हो पा रहा है। वे कहां हैं और किस हालत में हैं, ये सोचकर मेरा मन घबरा रहा है। शकरपुर स्कूल ब्लॉक बस स्टॉप की रेहड़ी पर ठेला लगाकर अमरुद बेचने वाला बिहार का निवासी भोला राम (अररिया का निवासी) भी अपने घरवालों की कोई खबर नहीं मिलने के कारण परेशान है।

गौरतलब है कि ग्रामीण इलाकों में पानी की तेज रफ्तार के कारण बीएसएनएल की सेवा भी पूर्णत: बाधित हो गई है। जाहिर तौर पर बाढ़ में फंसे लोगों की हालत तो मुहाल है हीं, बाहर रहने वाले उनके परिजन भी कोई खोज-खबर न मिलने की वजह से बेहाल हैं।

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