Sunday, August 31, 2008

बिहार: आखिर सेज से बेरुखी क्यों?

कुमार नरोत्तम / नई दिल्ली August 26, 2008



एक तरफ वाणिज्य मंत्रालय इस बात के कयास लगा रहा है कि अगले साल तक भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) में निवेश 2 खरब रुपये को पार कर जाएगा, वहीं दूसरी तरफ बिहार में अभी तक किसी भी एसईजेड के लिए कोई प्रस्ताव नहीं आया है।

आज हर प्रकार के एसईजेड बन रहे हैं चाहे वह इंजीनियरिंग हो या आईटी, टेक्सटाइल या मकर्ेंडाइजिंग। स्थिति ऐसी बन रही है कि भारत का सारा निर्यात एसईजेड के माध्यम से ही होगा। लेकिन बिहार की हिस्सेदारी एसईजेड में बिल्कुल नहीं है। इससे साफ जाहिर होता है कि भविष्य में भारत के विदेश व्यापार में बिहार का योगदान बिल्कुल नहीं होगा।

बिहार के उद्योग विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सरकार इस दिशा में बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है, फिर भी एसईजेड के प्रस्ताव सामने आए हैं। लिहाजा इस संबंध में धीमी ही सही लेकिन कुछ अरसे बाद प्रगति देखने को जरूर मिलेगी।

हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि पड़ोसी राज्यों उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में एसईजेड की स्थापना को लेकर जो भूमि विवाद उत्पन्न हुए हैं, उससे भी बिहार सरकार घबराई हुई है और इस तरह के किसी भी विवाद में नहीं पड़ना चाहती है।

यह पूछे जाने पर कि एसईजेड की प्रासंगिकता बिहार के लिए कितनी है, उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर भविष्य में सारी निर्यात गतिविधियां एसईजेड के जरिये ही होगी। एसईजेड के जरिये होने वाले निर्यातों में जिस प्रकार कर संरचना बनाई गई है, वह निर्यातकों के लिए काफी फायदेमंद भी है।

उन्होंने कहा कि बिहार एसईजेड को लेकर किसी प्रकार के भूमि अधिग्रहण विवाद में नहीं पड़ना चाहता है। यहीं वजह है कि बिहार अभी तक एसईजेड मुक्त राज्य बना हुआ है। केन्द्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि बिहार सरकार की तरफ से एसईजेड के प्रस्ताव को लेकर किसी भी प्रकार की पहल नहीं की गई है।

निवेश और रोजगार सृजन की अपार संभावनाओं के बावजूद बिहार सरकार की एसईजेड स्थापना के संबंध में उदासीनता निश्चित तौर पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। दरअसल सेज के तहत निर्यात को बढावा देने के लिए एक सीमित परिसर में वे सारी कर संबंधी सुविधाएं प्रदान की जाती है, जिससे आयात करना काफी आसान हो जाता है। अब आलम यह है कि अगर किसी सामग्री का निर्यात एसईजेड के बाहर से किया जाता है, तो वह इतना महंगा हो जाएगा कि बाजार में उसकी मांग काफी कम हो जाएगी।

अभी तक 513 एसईजेड को औपचारिक स्वीकृति मिल गई है। 11 अगस्त 2008 तक अधिसूचित एसईजेड की संख्या 250 है। इनमें से सिद्धांतत: 138 एसईजेड को मंजूरी मिल गई है। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक एसईजेड के जरिये 81093.495 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है। एसईजेड की स्थापना से रोजगार का भी काफी सृजन हुआ है। इसके तहत 30 जून 2008 तक कुल 3,49,203 लोगों को रोजगार मिल चुका है।

स्पष्ट है कि इसमें अभी अपार संभावनाएं मौजूद है, जिससे रोजगार में भी काफी बढ़ोतरी होने के आसार हैं। 2006-07 में एसईजेड के माध्यम से 34,615 करोड रुपये का निवेश हुआ, जो पिछले साल के 22,840 करोड़ रुपये के मुकाबले 52 प्रतिशत अधिक रहा। वर्ष 2007-08 में निर्यात में पिछले साल के मुकाबले 92 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। पिछले चार सालों में निर्यात में 381 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वित्तीय वर्ष 2008-09 के लिए एसईजेड के जरिये 125950 करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है।

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