कुमार नरोत्तम / नई दिल्ली August 23, 2008
बिहार में बुनकरों की स्थिति में सुधार और उन्हें सीधे बाजार से जोड़ने के लिए एक योजना शुरू की गई है। उद्योग विभाग के अंतर्गत काम कर रही हथकरघा और रेशम निदेशालय ने इस योजना का शुभारंभ किया है।
बुनकरों को उनके उत्पादों के लिए सही कीमत दिलवाने के लिए यह पहल की जा रही है। इस योजना के पहले चरण में 1700 बुनकरों को चुना गया है। उद्योग विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस योजना के लिए 34.40 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
इस योजना के अंतर्गत बुनकरों को दो हजार रुपये की अनुदानित दर पर साइकिल उपलब्ध कराई जा रही है। इससे बुनकर सीधे तौर पर बाजार से जुड़ सकेंगे और बाजार की प्रवृति को समझने में उन्हें आसानी होगी। बाजार से सीधे जुड़ने पर ये बनुकर मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन स्थापित कर पाएंगे और बाजार की प्रवृति के हिसाब से अपने उत्पादों का नया रूप दे सकेंगे।
बिहार हथकरघा और रेशम विभाग के निदेशक प्रेम सिंह मीणा ने कहा कि पहले चरण में 13 बुनकर बहुल जिलों का चयन किया गया है। इन जिलों से लाभार्थियों की संख्या तय कर ली गई है। भागलपुर से 500, बांका से 200, गया से 150, मधुबनी से 150, अरवल से 150, नालंदा से 125, दरभंगा से 100, पटना से 75, औरंगाबाद से 50, जहानाबाद से 50, सारण से 50 और नवादा से 50 बुनकरों को चुना गया है।
सूत्रों ने बताया है कि इस योजना के तहत कुछ ऐसे लोगों को भी साइकिल वितरित की गई है, जो बुनकर के पेशे से सीधे तौर पर जुड़े हुए नहीं हैं। कई जिलों में तो अभी तक इस योजना के प्रति किसी प्रकार की पहल तक नहीं की गई है।
इस बाबत उद्योग विभाग ने उक्त जिलों के संबद्ध अधिकारियों को इस योजना को जल्द-से-जल्द लागू करने के निर्देश दिए हैं। हथकरघा और रेशम निदेशालय ने इन जिलों के जिलाधिकारियों को चुने गए बुनकरों को जल्द से जल्द साइकिल देने का निर्देश दिया है।
Sunday, August 31, 2008
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