कुमार नरोत्तम / नई दिल्ली September 17, 2008
भारत सरकार देश के तेल और गैस क्षेत्र में बड़ी अंतरराष्ट्रीय तेल मार्केटिंग कंपनियों को निवेश करने के लिए आकर्षित करने की पूरी कोशिश कर रही है।
लेकिन इस दिशा में कोई बड़ा निवेश संभव नहीं हो पा रहा है। इसलिए देश के पेट्रोलियम क्षेत्र में खोज और उत्खनन के लिए मौजूद नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (नेल्प) में बदलाव की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है।
भारत चाहता है कि एक्सॉन मोबिल, टोटाल, ब्रिटिश पेट्रोलियम जैसी विदेशी कंपनियां देश के तेल और गैस क्षेत्र में निवेश करें। सरकारी सूत्रों का कहना है कि नेल्प के सातवें दौर में हालांकि विदेशी कंपनियों ने काफी रुचि दिखाई है, लेकिन इसके बावजूद विदेशी कंपनियों का निवेश बहुत कम रहा है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार नियमों में बदलाव के कई कारण हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिर तेल की कीमतें इसमें से एक है। इसलिए नेल्प के नियम इस प्रकार होने चाहिए कि इन तेल कंपनियों को बेहतर रिटर्न सुनिश्चित कराया जा सके।
सूत्रों का यह मानना है कि जब तक अंतरराष्ट्रीय तेल कंपनियां निवेश के लिए उत्सुक नहीं होगी, तब तक अपेक्षित परिणाम नजर नहीं आएगा। पूर्व पेट्रोलियम मंत्री मणिशंकर अय्यर ने भी विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए विक्रम मेहता की अध्यक्षता वाली एक समिति का गठन किया था।
Wednesday, September 17, 2008
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