कुमार नरोत्तम / नई दिल्ली November 04, 2008
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) और रेपो रेट में कमी किए जाने और इस्पात की कीमतों में बड़ी कंपनियों द्वारा कीमत घटाए जाने के बाद भी दिल्ली और एनसीआर इलाके में मकान की कीमतों में कमी के आसार नहीं दिख रहे हैं।
लैंडक्राफ्ट डेवलपर्स के निदेशक मनु गर्ग ने बताया, 'मकान आदि के निर्माण में प्रति वर्ग फीट 4.5 से 5 किलोग्राम इस्पात का इस्तेमाल किया जाता है। अगर इस्पात की कीमतों में 6000 रुपये प्रति टन की कमी होती है, तो इसका मतलब है कि आवासीय निर्माण में 25 से 30 रुपये प्रति वर्ग फीट की बचत होगी। लागत मूल्य में इस बचत से डेवलपरों को थोड़ी बहुत राहत जरूर मिलेगी।'
रियल एस्टेट कंपनी एसवीपी के सीईओ सुनील जिंदल ने कहा, 'इस्पात की कीमतों में हुई कमी से बुनियादी ढांचा निर्माण क्षेत्र को फायदा होगा। रियल एस्टेट डेवलपरों को इससे बहुत असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। इससे लागत मूल्य में महज 1-2 फीसदी की कमी होगी, जिसके आधार पर मकान आदि की कीमतों में कोई बहुत बड़ा अंतर देखने को नहीं मिलेगा।'
गर्ग ने बताया, 'आरबीआई द्वारा दरों में कटौती, एक स्वागत योग्य कदम है। अगर ग्राहकों के लिए फायदेमंद बनाने का लक्ष्य है, तो इसके लिए बैंको को होम लोन की दर कम करनी होगी। साथ ही बैंकों को सस्ती दरों पर वित्त पोषण करने संबंधी बातों पर ध्यान देना होगा'
Wednesday, November 5, 2008
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